लोगों की राय
ई-पुस्तकें >>
फ्लर्ट
फ्लर्ट
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ :
Ebook
|
पुस्तक क्रमांक : 9562
|
आईएसबीएन :9781613014950 |
 |
 |
|
3 पाठकों को प्रिय
347 पाठक हैं
|
जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
86
कुछ एक महीने में ही हमने संजय की एड एजेन्सी भी शुरू करवा दी। अब मेरे पास अपने अकेलेपन से लड़ने का एक और जरिया था। हमारी मेहनत और कान्टेक्ट्स के चलते हमें काम की कोई कमी नहीं थी। संजय के पिताजी मुझे बहुत चाहते थे, उन्होंने मुझे अपनी जिन्दगी में एक बेटे की तरह ही जगह दी। वो मुझ पर संजय से ज्यादा यकीन करते थे। उन सब के प्यार के चलते मेरा अकेलापन और कम हो गया। संजय और मैंने मेरी मम्मी को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन उनके जख्म अभी भरे नहीं थे। दूसरी तरफ सगाई टूटने के बाद बाजार में मेरी इमेज गिरती ही जा रही थी। डॉली का टूटा दिल, प्रीती का टूटा विश्वास कई सारे कान्ट्रेक्टस को तोड़ चुका था और ये सिलसिला रुक नहीं रहा था। मैं साफ देख सकता था कि लोग अब मुझसे ज्यादा नये चेहरों की तरफ जाने लगे थे। सभी की तरह ये बात सोनाली को भी पता थी और उसने एक रास्ता निकाल ही लिया था इस मुसीबत से जूझने का।
ये रास्ता क्या था ये मुझे कभी पता नहीं चला। उसने बस संजय और अपने पिता से इस बारे में बात की और कदम बढ़ा दिये। मुझे तो बस उसने एक ही लाइन कही थी-’ये खबरों का बाजार है अंश। अगर तुम्हें किसी खबर ने बर्बाद किया है तो तुम्हें बनाने के लिए भी बस एक खबर ही चाहिये।’
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai