ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
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शाम 6 बजे।
एसेन्शनल न्यूज चैनल के एम डी का ऑफिस।
जर्मन से इम्पोर्टैड बाँस की बड़ी सी ये मेज किसी दिन संजय ने ही मिस्टर राय को तोहफे के तौर पर दी थी। उसी के ठीक सामने मिस्टर राय की अपनी एम डी की कुर्सी थी जो उनकी गैरहाजरी में खाली ही थी। उस कुर्सी का लिहाज करते हुए सोनाली उस पर न बैठकर उसके बगल में रखी दूसरी कुर्सी पर बैठी थी। मैंने पानी का खाली गिलास मेज पर रखा और जैसे ही चपरासी उसे लेकर बाहर निकला, मैंने एक नर्म लहजे में बात शुरू की। मिस्टर राय मुम्बई से बाहर थे इसलिए मुझे सोनाली से ही बात करनी थी।
सोनू ने और लड़कियों के बारे में क्या कहा, क्या नहीं से मुझे कोई मलतब नहीं था लेकिन यामिनी के बारे में पढ़ा गया हर अक्षर मेरे लिए मायने रखता था। मुझे अन्दाजा था कि मेरी जिन्दगी में जो जगह कभी यामिनी की थी वही या उससे भी बढकर आज सोनू की जिन्दगी में मेरी है। जानता था कि सोनू के उठ चुके और उठने वाले हर कदम के पीछे वजह मैं ही हूँ लेकिन फिर भी मैं तैयार नहीं था उस लड़की के लिए बुरा सुनने को जिसे मैं कभी प्यार करता था वो उस लड़की के मुँह से जिसे मैं आज प्यार करता हूँ।
कुछ पन्द्रह बीस मिनटों तक मैं उसे समझाता रहा लेकिन वो समझ नहीं रही थी। न जाने उस कुर्सी पर बैठकर उसे क्या हो गया था? वो खुद को अपने पिता के समान साबित कर रही थी... बहुत व्यवहारिक! बहुत व्यवसायिक! इस संजीदा सी सोनाली राय में मैं उस मासूम सी सोनू को, जिसे मैं प्यार करता था..... लेकिन शायद वो कहीं गुम थी।
इसी बात ने मुझे काफी परेशान कर दिया था।
‘जब बात मेरे काम पर आती है तो मैं किसी की नहीं सुनती। ये एक अच्छा मटीरियल हो सकता है टेलीकास्ट करने के लिए... इससे हमारी टी.आर.पी. भी बढेगी।’ बिल्कुल संजय और राय के लफ्ज थे ये।
‘टी.आर.पी.?’ मुझे आवाज ऊँची करनी ही पड़ी। ‘तुम्हें किसने ये हक दिया कि किसी दूसरे की पर्सनल लाईफ का मजाक बनाओ वो भी सिर्फ अपनी टी.आर.पी. बढ़ाने के लिए?’ मैं उसके जवाब के लिए ठहरा। उसने सिर्फ असहमती भरी एक नजर दी जवाब में। ‘तुम उस पर क्यों थूक उछाल रही हो सोनू वो ना तो अब इण्डिया में है और ना ही इस फील्ड में। फिर क्या मतलब है उसके बारे में ये बकवास करने का?’ मैं उसकी आँखों में झाँक रहा था।
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