ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
|
3 पाठकों को प्रिय 347 पाठक हैं |
जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
‘फैन फौलोविंग?’
‘हाँ लेकिन इस बार कुछ ज्यादा हो रहा है।’ मैंने एक और बेनाम तोहफा रिसीव किया और लाकर उसे एक तरफ रख दिया।
सच में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। कोई तो था जो मुझे मेरे अकेलेपन से दूर करना चाहता था... कोई खास। और हो सकता है मैं उस वक्त उसी के साथ बैठा था। वो हर बार मेरे तोहफा लेने पर मुस्कुरा तो यूँ ही रही थी।
कुछ देर हम फिर चुप हो गये। वो सोच में बैठी थी अपनी नजर उन तोहफों पर फिराती हुई।
‘आपके घरवालों की तरफ से क्या आया है?’
मैं देख ही रहा था कि सोनाली सोच मैं बैठी है, और अब कुछ अलग ही बोलेगी और उसके इस सवाल ने मुझे उदास-सा कर दिया था।
‘तुमको मेरे बारे में सारी खबरें रहती हैं बस ये ही खबर नहीं थी कि मेरे घर वालों से आजकल बातचीत बन्द है मेरी।’
‘नहीं, इसका अन्दाजा नहीं था मुझे अंश। आए एम सॉरी।’
‘कोई बात नहीं।’ मेट ने काफी हमारे सामने लाकर रखी। ‘एक बात बताओ, तुमको मेरे बारे में पर्सनल खबरें कौन देता है?’ ये सवाल मैं पहले भी कई बार पूछ चुका था।
‘सॉरी नहीं बता सकती, टाप सीक्रेट !’ उसने उँगली से ‘टी’ बनाते हुए कहा। वही पुराना जवाब।
‘और जो तुम मेरे सीक्रेट पता करती रहती हो उसका क्या?’
‘यू गाट ए प्वाईन्ट! मेरे... एक दो जासूस हैं....’ वो वक्त ले रही थी।
‘एक तो संजय है...’ इसलिए ये जवाब तो मैंने दे दिया ‘और बाकी?’
‘बाकी आपके साथ काम करते हैं पोर्टिको में...।’ वो फिर अटक गयी।
‘येस गो अहैड।’
‘बस! और ज्यादा नहीं बता सकती, सॉरी!’
मैं सही था, सोनाली वाकई मेरे बारे में बहुत कुछ जानती थी लेकिन वो उन लोगों में से नहीं थी जो किसी भी सुनी सुनायी पर यकीन कर बैठते हैं। वो आज भी मुझसे ही जानना चाहती थी कि क्यों मेरे परिवार ने भी मेरा साथ छोड़ दिया।
|