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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

‘हैलो’ सोनू को लगा कि मैं शायद कॉल पर हूँ ही नहीं।

‘हॉय। तुम्हारे पास ये नम्बर कहाँ से आया?’

‘गैस करो।’

‘संजय से लिया?’ मैंने अन्दाजा लगाया।

‘ऑफ कोर्स। और कौन देता? आपका दूसरा नम्बर बन्द है।’

एक लम्बे वक्त के बाद मैंने सोनू की आवाज में वही पुरानी खनक, वो ही खुशी महसूस की। सगाई के बाद जो दायरा उसने हमारे बीच बना लिया था वो अब तक था.... लेकिन इस रात लगा कि वो कुछ कम हुआ है।

‘तो कल का कोई प्लान है? ऐनी डेट?’

‘ना ना, काम, बस! और कुछ नहीं।’

‘सच?’

‘हमम्।’

‘‘ना ना ये प्लान ठीक नहीं है।’ कुछ यूँ कहा उसने मानों वाकई उसका मूड खराब हो गया हो। ‘मुझे लगा था कि आपके पास तो कोई लम्बी सी लिस्ट होगी।’ मैं जवाब में बस हँस दियां ‘ अगर वाकई आपका कोई खास प्लान नहीं है किसी खास के साथ तो हम सेलिब्रेट करेगें साथ में?’ वो जरूर साँसे थामें ये पूछ रही थी।

‘तुम्हें कहीं जाना है?’ मैंने पूछा।

‘न आपके ही फ्लैट में पार्टी करेगें। कल फ्री रहना मैं आऊँगी।’ उसका झट से कॉल काट देना बता गया कि वो दूसरी तरफ अपने बिस्तर पर उछल रही होगी।

जब तक मैं सोनाली से बात कर रहा था, संजय की कॉल वेटिंग पर थी। उसने भी बधाई दी। उसके बाद काल्स की लाइन लग गयी। यामिनी ये दिन कभी नहीं भूलती थी और प्रीती ने भी एक एसएमएस के साथ खानापूर्ती कर दी। मैं इंतजार कर रहा था कि शायद घर से कोई फोन आ जाये, लेकिन नहीं आया। काफी कड़वाहट थी इस एहसास में कि जो लोग चार दिनों से मेरे साथ जुड़े हैं उन्हें तो मेरी फिक्र है लेकिन उन्हें नहीं जिनसे खून का रिश्ता है। शायद मैं इसी लायक था!

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