लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट

फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

347 पाठक हैं

जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

82


अपनी कुर्सी में पीछे की तरफ झुके हुए, पेन की टेस्सी को बेवजह टकटकाते हुए उसका चेहरा कोई रास्ता तलाश रहा था। उसकी आँखें एक बन्द फाईल से हट नहीं रही थीं जो उसके मेज पर पड़ी थी। उसकी अपनी एड ऐजेन्सी का प्रोजेक्ट।

‘मैं इस फील्ड को छोड़ देता हूँ....’

‘क्या?’ संजय खुद में लौटा

‘बस यही मेरे हाथ में है संजय! ये तूफान खामोश होने में वक्त लेगा और हमारे काम्पिटिटर्स इसे इतनी जल्द खामोश होने भी नहीं देंगे। तब तक तुम्हारा एड ऐजेन्सी का सपना टूटने की कगार पर पहुँच चुका है।’

उसने असहमति से एक बार जोर से आँखें मीचीं और मेरे पास आकर, मेरे कन्धे को दबाते हुए- ‘अंश तू जब तक जवान है, अच्छा दिख रहा है तब तक ही बस लाईट में है। और ये ही वक्त है जब कमा सकता है, बचा सकता है। कल कोई और नया चेहरा आ जायेगा और लोग तुझे भूल जायेंगे। वक्त कब बदल जायेगा तुझे पता भी नहीं चलेगा। तो जब तक है तब तक बना रह!’

‘लेकिन संजय इस सब ने मुझे बनाया कम और बिगाड़ा ज्यादा है। मैं लगातार कुछ न कुछ खो रहा हूँ।’

‘तू सिर्फ अपना बैलेंस खो रहा है और कुछ नहीं। आन्टी को मैं समझा दूँगा तू उनकी फिक्र मत कर। कुछ वक्त दे उन्हें। वो तेरी माँ है, तुझसे दूर नहीं रह पायेगी।’ मैं मान नहीं पा रहा था इस बात को और ये मेरे चेहरे पर साफ दिख रहा था। ‘अंश मैं उनसे बात करूँगा इस बारे में। और रही बात प्रीती की तो वो तेरे लायक थी ही नहीं!’

‘लेकिन संजय....’

‘लेकिन क्या?’ वो चिल्ला पड़ा मुझ पर। अपने लिए उसमें इतना गुस्सा मैंने पहली बार ही देखा था। ‘अगर तू वाकई इस काम को छोड़ना चाहता है तो ठीक है, जा! लेकिन जरा बतायेगा कि कहाँ जायेगा तू? पढ़ाई बीच में छोड़ चुका है... कोई प्रोफेशनल डिग्री तेरे पास है नहीं... क्या करेगा इस काम के अलावा?’

‘कुछ भी।’ मेरा ठण्डा सा जवाब था। मुझे खुद भी पता था कि ये नहीं हो सकता।

‘कुछ भी?’ उसने मजाक सा उड़ा दिया मेरे जवाब का। ‘मतलब तू कुछ लेन्डस्केप पेन्ट करेगा और उन्हें दर दर जाकर बेचेगा?’ वो खीसें निकाल रहा था। ‘अंश सब से बड़ी बात ये है कि एक बार आप आसमान में सितारा बन कर चमक गये तो जमीं पर आपके लिए जगह खत्म हो जाती है। एक बार खास हो गये तो आम बनना नामुममिन हो जाता है।’ वो वापस अपनी कुर्सी पर जा बैठा।

मैं धीरे-धीरे चलता हुआ गेज विन्डो के पास खड़ा हो गया।

संजय सही था! वो मुकाम जहाँ यामिनी और संजय ने मुझे खड़ा कर दिया था वहाँ तक आने का रास्ता तो था, भले ही मुश्किलों भरा, लेकिन वापस जाने का कोई रास्ता नहीं है और मैं वापस जाना चाहता भी नहीं था। मुझे आदत हो चुकी थी इस जिन्दगी की। कोई अगर मुझे न पहचाने तो ये मेरे लिए बड़ी चुभने वाली-सी बात होती थी। जो कुछ भी हो लेकिन इस जिन्दगी ने ही मेरे अन्दर एक खालीपन भर दिया था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai