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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

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एक बार फिर बाजार की खबरें मेरे नाम से गर्म हो गयीं। हमेशा की तरह लोगों को मुझसे बात करने का एक नया मुद्दा मिल गया। जो दोस्त थे उन्होंने कुछ नहीं कहा और जो दुश्मन थे उन्होंने मजाक बना दिया। इस बार सोनाली भी मेरे साथ इस जंजाल में बुरी तरह फँस गयी। संजय और मेरे कुछ काम्पिटिटर जिन्हें पोर्टिको, मेरे और संजय की तरक्की से तकलीफ थी और जो जानते थे कि सोनाली के पापा हमें फिनान्शियल सपोर्ट कर रहे हैं, उन्होंने ये खबरें बाजार में फैलायीं। एक तरफ मेरी मैली ईमेज और दूसरी तरफ सोनाली का मेरे साथ जुडा नाम - मिस्टर राय मुझसे दोनों तरफ से खफा थे।

मेरे घर में भी कई दिनों के लिए हल्ला रहा। मम्मी मुझसे बेहद नाराज हो गयी थीं। ये सगाई टूटने से सिर्फ प्रीती की ही नहीं बल्कि मेरे घरवालों की भी इज्जत खराब हो रही थी। मैंने उन्हें फिर मुम्बई आकर रहने को कहा लेकिन वो अपने उस घर को वीरान नहीं करना चाहती थीं जिसे उन्होंने कभी सपनों की तरह सजाया था। उनके जज्बातों की कद्र न होती तो मैं उन्हें किसी भी तरह यहाँ ले आता।

उन्होंने मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ा था लेकिन इस बार छोड़ दिया। उन्हें मेरे चलते प्रीती के पापा की बातें सुनने को मिली थी। माफी माँगनी पड़ी थी। वो नहीं चाहती थी कि मैं उनके लिए अब और समस्याएं खड़ी करूँ या मेरी बहनों की जिन्दगी पर मेरा कोई नकारात्मक प्रभाव पडे़। कानूनी तौर पर तो नहीं लेकिन हाँ जज्बाती तौर पर उन्होंने मुझे खुद से अलग कर दिया। उनको उम्मीद थी कि ऐसा करने से मुझमें बदलाव जरूर आयेगा।

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