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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

‘प्रीती अगर तुम ऐसे ही मुझ पर तोहमतें लगाओगी तो फिर मैं कुछ नहीं कह सकता, फिर तो जो मन में आये वो करो। मैं ये रिश्ता बचाने की कोशिश कर रहा हूँ और तुम लोगों की बातें सुनकर मुझसे बहस कर रही हो?’

‘अंश लोग तुम्हारे बारे में जो कुछ कहते हैं उससे मुझे इतना फर्क नहीं पड़ता लेकिन तुम उन बातों को साबित कर रहे हो। मैं तुमसे नफरत नहीं करना चाहती, लेकिन अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन करने लगूँगी। वैसे भी एक जबरदस्ती के रिश्ते का कोई मतलब नहीं होता अंश। ये रिश्ता तुमने जल्दबाजी में जोड़ा था इसका टूट जाना ही ठीक होगा। जो हो रहा है उसे होने दो, कुछ सम्हालने की जरूरत नहीं है।’

‘लेकिन प्रीती मैं सम्हालना चाहता हूँ!’

‘क्यों नहीं? ठीक वैसे ही ना जैसे अपनी गिरती हुई इमेज को सम्हाला थी मुझसे सगाई कर के!’

‘प्रीती, नाओ इट्स लिमिट!’

‘आई डोन्ट केयर, अंश! तुमने सगाई की ताकि लोगों का मुँह बन्द कर सको। मिस्टर अंश सहाय किसी एक के भी हो कर रह सकते हैं, ये यकीन दिलाना चाहते थे न तुम लोगों को? अंश तुम्हारे लिए ये सब भी एक पब्लिसिटी स्टंट था। ये सगाई, मैं, मेरा प्यार और अब जब हमारी सगाई टूटेगी तो तुम्हारे लिए वो भी पब्लिसिटी स्टंट ही होगा! अंश तुम रिश्ते बना तो सकते हो लेकिन निभा नहीं सकते। मैं नहीं जानती हूँ कि तुम क्यों बने? कैसे बने और कब बने, लेकिन अब तुम फ्लर्ट बन गये हो और फ्लर्ट से प्यार करना जितना आसान होता है उस पर यकीन करना, उतना ही मुश्किल।’

कॉल मेरी तरफ से कटी थी। मुझे कम से कम प्रीती से ये उम्मीद नहीं थी। जो मुझे पागलों की तरह चाहती थी, उसने भी मुझसे वो ही कहा जो और कहा करते थे। लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं अगर मैं बैठ कर सोचने लगता तो मैं कभी उठ नहीं पाता। हजारों लोग ऐसे थे जो मुझे गलत कहते थे, लेकिन अगर मैं गलत था तो वो ही लोग मुझे आसमान पर क्यों बैठा रहे थे? मैंने कभी अपनी सफाई किसी को नहीं दी बस, ये ही मेरी एक कमी थी।

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