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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

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संजय के मुताबिक अगली सुबह मैं उसके साथ शिकागो निकल गया। हो सकता है कि मुझे उस वक्त अपनी निजी जिन्दगी पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत थी लेकिन ये मेरा विश्वास ही प्रीती पर कि मैंने ऐसा नहीं किया। मुझे यकीन था कि कितने ही अगर-मगर के बीच हो लेकिन वो मेरा हाथ नहीं छोडेगी।

मैं करीब 17 दिनों तक देश और लोगों के कान्टेक्ट से बाहर रहा और जब वापस आया तो माँ ने मुझे प्रीती और उसके पिताजी का एक फैसला सुना दिया। वो ये रिश्ता तोड़ रहे थे।

माना कि प्रीती की उम्मीदों पर मैं खरा नहीं उतरा लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि वो रिश्ता ही तोड़ देगी! हो सकता है वो ये धमकी सिर्फ मेरा ध्यान खींचने के लिए दे रही हो?

मैंने तुरन्त उससे फोन पर बात की और पाया कि हालात मेरी समझ से भी ज्यादा बुरे हैं। हमारा रिश्ता अपनी आखरी साँस पर टिका था और मैं उसमें जान फूँकने की कोशिश करने लगा।

‘प्रीती, ये बात तुमको मम्मी से करने की क्या जरूरत थी? वो कुछ नहीं सुन रही हैं अब।’

‘अंश गलती मेरी नहीं है। मैं तुमसे ही बात करना चाहती थी लेकिन तुम्हारे पास वक्त ही कहाँ है? ना किसी से बात करने के लिए और न यहाँ आकर किसी से मिलने का!’

‘प्रीती तब मैं नहीं आ सकता था वहाँ। तुम्हारे और इस सगाई के अलावा और भी बहुत कुछ है मेरी जिन्दगी में। संजय मेरे भरोसे पर एड एजेन्सी शुरू कर रहा है, मुझे उसका साथ भी तो देना था न? आज तक उसने कितना कुछ किया है मेरे लिए। ‘

‘तो अंश तुम ही बताओ कि मैं कहाँ जाकर अपना सर फोडूँ? तुम कहते हो तुम्हारे पास वक्त नहीं है? लेकिन फिर देर रात तक तुम किससे बात करते हो फोन पर? सुबह जागते ही कहाँ व्यस्त हो जाते हो? सच ये है अंश कि तुम्हारे पास सिर्फ उन लोगों के लिए वक्त नहीं होता जो तुम्हारे अपने हैं। तुम्हारी मम्मी, तुम्हारी बहनें, तुम्हारे दोस्त और मैं? मुझे तो तुमने सगाई करके जैसे जिन्दगी भर के लिए छोड़ दिया था। 8 महीने हो चुके है अंश हमारी सगाई को! बात ये तय हुई थी कि शादी 2 महीनों में हो जायेगी लेकिन तुम, तुम तो आज तक इस बारे में बात तक नहीं कर पा रहे। रोज ही तुम्हारे बारे में कुछ नया सुनने को मिलता है। माफ करना अंश लेकिन अब मैं वो 17 साल की प्रीती नहीं रही, जो सपनों में खोकर अपना सच भूल जाये।’

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