ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
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एक भीगी शाम, जूहू।
मैं सोनू का उसी रेटोरेन्ट में इन्तजार कर रहा था जहाँ उसे पिछली बार मिला था। नेवी ब्लू शर्ट और ग्रईश ब्लैक पेन्ट पहने। ये करीब 4 साल पुरानी ड्रेस थी मेरी जो मैंने अपने सबसे पहले शूट में पहनी थी। सोनू ने जब पहली बार किसी मैगजीन में मेरी तस्वीर देखी थी तो मैंने यही कपड़े पहने हुए थे। ये कपड़े उसके पसन्दीदा थे।
कैन्वस में रंग भरने के अलावा उसका साथ ही अब एक ऐसा जरिया था जिससे मुझे सुकून मिलता था। पता नहीं क्यों लेकिन बीते कुछ दिनों में मैंने उसे बहुत मिस किया। उसकी मुस्कुराहट, उसकी बातें.... उसका मुझे चिढाना, सब कुछ!
सगाई के बाद उसकी आवाज भी नहीं सुन पाया मैं। लग रहा था जैसे वो दूर होती जा रही है। जिन लड़कियों से मेरे रिश्ते बने उनके लिए मेरे दिल में कोई जगह नहीं थी लेकिन सोनाली, जिससे मेरा सिर्फ दोस्ती जैसा रिश्ता था उसकी यादों ने कभी दिल का साथ नहीं छोडा। मैं जानता था कि वो मुझे चाहती है लेकिन उसने कभी कोई शिकायत नहीं की। कोई दुःख जाहिर नहीं किया। यूँ तो वो वैसे भी सबसे अलग थी लेकिन इस बात ने उसे और अलग कर दिया.... और अलग चीजें कुदरतन आकर्षित करती हैं।
मैंने उसे मिलने के लिए बुलाया.... बल्कि ये कहना बेहतर होगा कि मैंने उसे मिलने के लिए मिन्नतें कीं।
कोने की उसी आखिरी टेबल पर मैं बेसब्री से उसका इन्तजार कर रहा था। जानता था कि ये कुछ गलत हो रहा है लेकिन जिस दिन से मेरे कदम मुम्बई में पड़े थे मैंने सही कुछ किया भी तो नहीं था।
उसे सात बजे तक यहाँ होना चाहिये था और बिल्कुल उसी समय वो मुझे आती दिखायी दी। एक फार्मेलिटी भरी जबरदस्ती की मुस्कुराहट लिये वो मेरी तरफ आ रही थी। बिल्कुल मामूली से जीन्स और टॉप पहने। मैं थोड़ा सहज होकर बैठ गया। उसके आव-भाव तो बिल्कुल नये थे लेकिन आँखें वो तब बिल्कुल वैसी ही थीं.... जगमगाती हुई। अपने प्यार की चमक को खुद में छुपातीं सीं।
‘हॉय! ओल्ड ड्रैस।’ उसने आते ही गौर किया। हाथ मिलाते हुए- ‘ये तो अब फैशन में भी नहीं है।’ उसने हँसते हुए अपनी कुर्सी खींची।
‘मैं फैशन के पीछे भागता ही नहीं। कैसी हो?’
‘बस ठीक। आप बताइये कैसा चल रहा है सब?’
अजीब लगा कि जो लड़की मेरी जिन्दगी में चल रहे हालात के बारे में मुझसे भी पहले खबर रखती थी, वो मुझसे ये पूछ रही है। भले ही झूठ था ये लेकिन चोट तो सच में पहुँचा गया।
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