ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
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एक किस्सा खत्म हुआ नहीं कि दूसरा शुरू! मेरी जिन्दगी ने मुझे कभी साँस नहीं लेने दी।
प्रीती मेरे बचपन की दोस्त थी और वो अब तक मेरे कान्टेक्ट में थी, इस बात को मम्मी ने किसी और तरह से ले लिया। उन्हें लगा कि वो मेरी पसन्द है। उसके बाद तो जिस दिन मुम्बई आने को मैं अपना सामान बाँध रहा था, तब तक मम्मी ने एक ही बात खींच रखी थी।
‘तेरे लिए प्रीती अच्छी रहेगी अंश। हम उसे और उसके परिवार को जानते हैं। काफी इज्जतदार लोग हैं वो। वो एक अच्छी संस्कारी लड़की है.... तेरी वो मुम्बई की लड़कियों की तरह नहीं कि बस फैशन के पीछे दौड़ना है। कपड़े तक पहनने का सऊर नहीं होता उन्हें!’
प्रीती का प्यार, उसका इन्तजार वाकई सब से ऊपर था। उसमें वो सारी खूबियाँ थीं जो किसी भी अच्छी पत्नी में होनी चाहिये लेकिन फिर भी मैं इस बारे में अपनी कोई राय नहीं दे पा रहा था। मैंने मम्मी को सिर्फ गति की शादी की तैयारी करने को कहा। मुझे इस तरह का कोई भी फैसला लेने में अभी और वक्त की जरूरत थी।
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