ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
|
3 पाठकों को प्रिय 347 पाठक हैं |
जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
मैं काफी दिक्कत महसूस कर रहा था एक छोटे लड़के के हाथ में इस तरह का सामान देते हुए लेकिन वो, उसे कोई दिक्कत नहीं थी। उसने अपना परिचय तक देने में वक्त खराब नहीं किया। जितनी तेजी से वो आया था उतनी ही तेजी से चला भी गया। उसने पैकेट ढूँढते हुए बस दो ही बातें कहीं अपने आप के बारे में। एक, वो पहली बार इस रैकेट के लिए काम कर रहा है और दूसरी, वो भी नशे की लत में है।
मुझे उसके चले जाने के बाद भी उस आलीशान कमरे में घुटन सी हो रही थी, मैं बालकनी में चला गया।
मैं जिस दिन से मुम्बई आया था, मैंने कई बुरे काम किये होंगे लेकिन ये... ये तो बदतर था! मुझे कोई खुशी नहीं थी इस कामयाबी की। मैं जानता था कि मैंने जो किया है वो मेरा आज तक का सबसे घिनौना काम होगा। ये जहर आस्ट्रेलिया के स्कूल और कालेज के बच्चों के लिए था जो वहाँ पढ़ाई करने आये थे। उन्हें इसकी पहले आदत डाली जाती है फिर उसी आदत के लिए उनसे पैसे लिए जाते हैं। और भी बहुत कुछ कराया जाता है उनसे इस लत के चलते। बहुत से गलत काम, बहुत से अपराध। फिर एक दिन वो भी इस जहर को फैलाने का जरिया बन जाते हैं। मुझे खुद पर इतना अफसोस और इतनी घिन कभी नहीं आयी थी जितनी उस दिन। ज्यादातर ये बच्चे ही हम स्टार्स के फेन होते हैं और हम इनके आदर्श, जिनकी स्माइल पर, स्टाइल पर ये लोग मरते हैं, जिनके पोस्टरों से इन बच्चों के कमरे सजे रहते हैं और हम ही कई बार इन्हीं बच्चों की बर्बादी का जरिया बनते हैं? छिः!
मैंने कभी किसी बात को इतनी गहराई से नहीं सोचा था... काश, मेरे पास कुछ और होता जिसे मैं इस हद तक सोच सकता।
अकेला मैं ही नहीं था जो अपने किये पर शर्मिन्दा था.....कुछ और लोग भी थे।
|