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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

54

एक हफ्ते बाद। दोपहर 2.45


जैसे ही मैं एयरपोर्ट पहुँचा मेरी धडकनें और बढ गयीं!

मेरी हथेलियों से पसीना सूख ही नहीं रहा था। गला सूख चुका था। जिन्दगी में पहली बार जानबूझकर कुछ गलत करने वाला था। एक अपराध! और पहली बार मुझे किसी बात का डर था। कार्बन पेपर में लिपटे हुए कुछ छोटे छोटे पैकेट मेरे सामान में कहीं छुपे हुए थे। मुझे भी पता नहीं था कि संजय ने उन्हें कहाँ छुपाया है?

मैंने एयरपोर्ट की सारी फार्मलिटी पूरी कर लीं लेकिन जब कस्टम सामने आयी तो मेरे चेहरे का रंग खुद ब खुद उड़ गया। मैं बैचेनी से अपने सामान के क्लियर होने का इन्तजार कर रहा था। मुझे यकीन था कि मैं पकड़ा ही जाऊँगा और तब क्या करना है? ये तय नहीं था।

कल्पना में दर्जनों बार मैं खुद को जेल जाते हुए देख चुका था। पुलिस मेरे हाथों में हथकडी पहना रही है! टेलीविजन और अखबारों में खबर कि अंश सहाय ड्रग्स के साथ पकड़ा गया....भगवान! आने वाला हर पल बीते पल से ज्यादा मुश्किल था और मैं पूरी कोशिश कर रहा था कि मेरे चेहरे पर चिन्ता का कोई भाव न आये। अपने धैर्य और आत्मविश्वास को मैंने जकड़ रखा था। पता नहीं ये मेरी गलतफहमी थी या सच, मुझे लगा कि हमारी चैकिंग उस लेवल पर हुई ही नहीं जिस पर मैंने सोचा था। किसी को कुछ पता नहीं चला।

प्लेन में अपनी सीट ले लेने के बाद ही मेरी साँस में साँस आयी। जिस तरह यामिनी ने मुझे चौंकाया था ठीक वैसे ही मैंने भी किया। अपने सफर के दौरान बस एक मैंसेज छोड़ दिया उसके लिए कि मैं जा रहा हूँ।

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