ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
‘नहीं, मैं आपके सामने बैठकर पूछना चाहती थी और आप फोन पर बात करते भी कहाँ हैं। अभी भी देख लो, आप कॉल रिसीव नहीं कर रहे हो। आपका ये फोन कितना बजता है !’
‘वो... बस ऐसे ही, फालतू लोग हैं।’ मैंने फोन में मिस्ड लिस्ट देखते हुए कहा। यामिनी के अलावा कुछ एक दो को-माडल्स और प्रीती की कॉल्स थीं लिस्ट में।
सोनाली के साथ बैठकर मेरा वक्त अच्छे से गुजर रहा था। काफी वक्त बाद सम्पूर्णता और खुशी का एहसास हो रहा था लेकिन मैं वहाँ और रुक नहीं सकता था। मेरे पास लगातार प्रीती और यामिनी की काल्स आ रही थी। मैंने संजय को वापस चलने को पूछा लेकिन उसे कोई मिल गया था जो उसके साथ रात भर रह सकता था।
संजय और सोनाली से विदा लेते समय सोनाली ने मुझसे मेरा कुछ वक्त माँगा था और मैंने उसे वादा किया कि जब भी हो सकेगा, मिल लूँगा।
गाड़ी में बैठकर जैसे ही मैंने ईंजन स्टार्ट किया यामिनी की कॉल ने फिर से स्क्रीन रोशन कर दी। पहले लगा कि एक बार बात कर ही लेता हूँ लेकिन फिर बेवजह ही रुक गया। कॉल रिजेक्ट कर के मैंने गाड़ी बढ़ा दी।
मैं अच्छे से जानता था कि उसे क्या बात करनी है? कई दिनों से मेरे साथ रहने की जिद कर रही थी। उसे मेरे साथ मेरे फ्लैट में शिफ्ट होना था, कुछ तीन महीनों के लिए। मैं अब तक उसे टाल ही रहा था।
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