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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

करीब आधे घण्टे तक हम साथ थे और मैं पूरा वक्त उसके साथ मुस्कुरा रहा था। मेरा क्रेज उसके चेहरे पर झलक रहा था। कितनी खुश थी वो मुझे मिलकर! उसने मुझसे कुछ-कुछ उस तरह बात की जैसे प्रीती करती थी। उसे मेरी प्रोफेशनल लाइफ में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उस बारे में वो लगभग सब कुछ जानती थी। वो तो ये जानने मे ज्यादा फेसिनेटेड थी कि मुझे खाने में क्या पसन्द है। कौन-सी मिठाई पसन्द है। मैं बचपन में कैसा था? किस सबजेक्ट में मुझे सबसे कम नम्बर मिलते थे। कुछ सवाल ऐसे भी थे जिनका जवाब मुझे याद करके देना पड़ा।

‘ग्रेट क्लेशन ऑफ क्वेश्चन्स!’ मैंने ताली बजायी ‘काफी वक्त लगा होगा न इसमें?’ मैंने मजाक में पूछा।

‘ज्यादा नहीं बस पिछले एक साल से पूछना चाहती थी।’ वो खुद पर हँसते हुए बोली।

‘वाओ!’ मैं हँसा और वो मेरे साथ हँस रही थी।

‘जो आप आन स्क्रिन है वो तो सब जानते हैं लेकिन मैं वो जानना चाहती हूँ जो आप ऑफ स्क्रीन है। आपके ड्रॉ-बैक। योर नैगेटिव साइड। वो जो कोई नहीं जानता...’

‘लेकिन सोनाली तुम तो ऐसी बातें भी पूछ रही हो जो मैं खुद भी नहीं जानता। ‘ मैं फिर हँसा लेकिन इस बार वो सिर्फ मुस्कुरा कर रह गयी। उसकी हँसी किसी बेबसी के साथ होठों पर मसल सी गयी थी। उसके रौनक भरे चेहरे में मुझे वही उदासी दिखायी दी जो यामिनी से चोट खाने के बाद अक्सर मुझे आइने के सामने खड़े अंश के चेहरे पर दिखती थी। ये बात मेरे दिल को और छू गयी।

‘चलिये, अब बताइये ना कि आपने पहली बार स्कूल कब बंक किया था?’

‘मुझे याद नहीं।’

‘आपका फर्स्ट अट्रेक्शन?’

‘नहीं बता सकता। इट अज पर्सनल, वैरी पर्सनल।’

‘वो लड़की जिसने सबसे पहले आपको पसन्द किया।’

‘नहीं जानता... शायद प्रीती’ मैंने सोचकर कहा।

‘प्यार का पहला तोहफा?’

‘एक गुलाब।’ जवाब देते ही- ‘सॉरी! गुलाब को गिफ्ट कह सकते हैं न?’ उसके सवालों ने मुझे उलझा दिया था। मेरे सवाल को नजरअन्दाज कर- ‘वो एहसास जो सबसे बुरा लगता है और वो जो सबसे अच्छा लगता है!’

‘प्यार!’ मेरा बस ये ही एक जवाब निश्चित था।

‘क्या करने में सबसे ज्यादा डर लगता है?’

‘एक्टिंग।’

‘क्या है जो...’

‘सोनाली बस करो, प्लीज।’ मैंने हाथ खड़े कर लिये। ‘यू आर ए किड! कितने साल की हो तुम?’

‘22 साल की !’ उसने बड़े नाज से कहा।

‘तो फिर 22 साल की लड़कियों की तरह कम बात करो और अब मैं जाना चाहता हूँ। वैसे फोन पर तो तुमने कभी मुझसे ऐसी कोई बात नहीं की।’

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