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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

‘हे! हे! डोन्ट मिसअन्डरस्टैण्ड मी! फार योर काइन्ड पर्सिव, मैं उसे कॉल नहीं करता वो खुद ही करती है और अभी कई दिनों से उससे बात हुई भी नहीं है। मेरी उससे कोई खास बातचीत नहीं है।’ मैंने अपनी सफाई दी।

‘वही तो वो भी कह रही है कि अंश से बात नहीं हो रही आजकल। उसके बाप ने पार्टी दी है, उसी की पार्टी में उसी से नहीं मिलेगा?’

मैं संजय से बहस नहीं करना चाहता था और फिर वो उस दिन पूरी तरह अपने होश में भी नहीं था। मेरी सोनाली से एक-दो बार बात हुई थी वो भी सिर्फ दो मिनट के लिए। जब भी उसके फोन आते थे मैं हमेशा ही व्यस्त होता था इसलिए उससे सिर्फ ढाई बात करके फोन काट देता था। सोनाली ऐसेन्शन्ल जैसे चैनल के मालिक की बेटी थी और अपने करोडपति डैड की कमजोरी भी। सोनाली के पापा की लगभग हर जगह अच्छी धाक भी थी। उनके साथ संजय की जो थोड़ी बहुत जान पहचान थी, वो जान-पहचान संजय के बहुत काम आ सकती थी। संजय अपनी एक एड एजेन्सी भी शुरू करना चाहता था, जिसके लिए उसे सोनाली के पापा की मदद चाहिये थी और कुछ हद तक सोनाली की भी। सोनाली संजय की मदद तब करती जब वो उसकी मदद करता, मुझसे जान-पहचान बढ़ाने में। यामिनी सही कहती थी कि संजय हर उस चीज को इस्तेमाल करता है जिसे वो कर सकता है।

मैंने अब तक सोनाली को बस दूर से ही एक-दो बार देखा था और मेरी कभी उससे आमने-सामने बैठकर बात नहीं हुई।

‘सोनाली!’

संजय ने एक लड़की को आवाज दी जो कुछ दो चार मेहमानों के बीच खड़ी थी। वो हमारी तरफ पलटी। ये पहली बार उसे देखा था मैंने!

परी! वो बिल्कुल परी थी.... अविश्वसनीय रूप से खूबसूरत। करीब 5.5 फुट कद.... गहरे हरे रंग का हाई नेक हाल्टर पहने। लम्बे भूरे बाल... मासूमियत भरी मुस्कुराहट.... बड़ी बड़ी गहरी साफ आँखें। मैं नशे में होता तो जरूर कह उठता कि ये सच में नहीं है, सिर्फ कल्पना है। जब मैंने उससे हाथ मिलाया तो बेवजह ही मुस्कुरा उठा। कुछ अन्दर से गुदगुदा सा गया मुझे।

उसके कुछ दो चार दोस्तों से मिलने के बाद हम उसी लान के एक एकान्त से कोने में जाकर बैठ गये।

जैसा मुझे डर था, किसी फेन की तरह उसने मुझे बोर नहीं किया। वो बहुत अलग थी। मेरे फील्ड से नहीं थी इसलिए मुझे वाकई बहुत अलग लगी। वो लड़कियों वाले बनावटी तौर तरीके उसमें नहीं थे। वो एक लड़की थी जिसने अपने हाई क्लास के हिसाब से कपड़े तो पहने थे लेकिन स्वभाव से बहुत सादी-सहज थी।

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