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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

‘इसे एलर्जी नहीं कहते मेरे भाई, इसे कहते है पपी लव!’

‘उसे चार लड़कों के साथ अफेयर चलाने के बाद किसी से पपी लव हुआ है। अमेजिंग!’ मैंने संजय की बात को नकारते हुए कहा।

हम ये बहस कर रहे थे कि किसी ने दरवाजा खटखटाया।

‘मे आए?’

मैं पीछे पलटा। ये वो ही थी!

‘हे भगवान!’ मैंने अपने आप में कहा।

दरवाजे से कदम आगे, मुझे देखते ही सन्न सी वो वहीं खड़ी रह गयी।

‘तुम वहाँ क्यों खड़ी हो? हम तुम्हारे ही बारे में बात कर रहे थे।’ संजय ने बड़े उत्साह से उसे अन्दर बुला लिया।

उसका फीका पड़ गया चेहरा, उसके सहमे से कदम इस बात का सबूत थे वो किसी भी सूरत में मेरे बगल में आकर नहीं बैठना चाहती लेकिन मना भी तो नहीं कर सकती।

मैंने उसकी तरफ देखकर बस एक बार खानापूर्ती के लिए मुस्कुरा दिया और वापस चैटिंग में व्यस्त हो गया। उसके बाद मैंने दोबारा उसकी तरफ नहीं देखा। मुझे देखकर वाकई उसकी हालत देखने लायक हो जाती थी। वो हमेशा ही मुझसे कतराती थी, उसकी इस झेंप के चलते उसे फेस करना मेरे लिए भी आसान नहीं होता था।

कुछ देर शो के बारे में बात करने के बाद संजय उसे मेरी तरफ डायवर्ट करने लगा। उसके लहजे से ही जाहिर था कि वो आज डॉली की अच्छी खिंचाई करने वाला है।

‘....तुम इस बारे में अंश से क्यों नहीं पूछतीं? वो तो अब एक कामयाब और तजुर्बेकार मॉडल बन गया है। और तुम्हें पता है कि तुम्हारा नाम भी इस डिजाइनर को उसी ने सजैस्ट किया था।’

डॉली चोर नजरों से एक बार मेरी तरफ देखा-

‘मुझे अब चलना चाहिये।’ बहुत दबी सी आवाज में उसके मुँह से निकला।

‘तुम्हें इतनी जल्दी क्यों है? हैव ए ड्रिन्क एट लीस्ट।’ संजय ने जूस से भरा एक गिलास उसकी तरफ भी कर दिया।

‘नहीं, मुझे कहीं पहुँचना है अभी। आई एम गैटिंग लेट।’ उसने फिर कोशिश की।

‘कोई बात नहीं अंश तुम्हें छोड़ आयेगा।’ उसने मेरी तरफ देखकर आँख मारी। मैंने उसे कुछ कहने के लिए होठ खोले मगर कुछ सूझा नहीं। मेरी चुप्पी को भी संजय ने खाली नहीं जाने दिया- ‘देखा, वो छोड़ आयेगा।’ उसने अपने सवाल का जवाब भले ही खुद दे दिया लेकिन डॉली उससे सहमत नहीं दिखी। शायद उसे मेरी चुप्पी का सही अर्थ मालूम था।

‘आप अंश को परेशान ना कीजिये। ही इज बिजी आई थिंक।’ उसने लैपटाप पर जमी नजरों पर एतराज किया था।

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