ई-पुस्तकें >> एकाग्रता का रहस्य एकाग्रता का रहस्यस्वामी विवेकानन्द
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एकाग्रता ही सभी प्रकार के ज्ञान की नींव है, इसके बिना कुछ भी करना सम्भव नहीं है।
4. जैसा कि पहले बताया जा चुका है – एक बार जब हम अध्ययन के लिए किसी विषय को लेकर बैठते हैं, तो उसे पूरे एक घण्टे तक जारी रखना आवश्यक है। सामान्यतः मन किसी नये विषय को सहसा ग्रहण करने के लिए तैयार नहीं होता। दिन भर हम जिन विभिन्न कार्यों में व्यस्त थे, मित्रों तथा अन्य लोगों से जो बातें कर रहे थे अथवा हमारे मन में जो विचार चल रहे थे, वे अब पढ़ाई आरम्भ करने के बाद भी सक्रिय रहेंगे। अतएव अध्ययन के लिए तैयार होने में मन को आठ से दस मिनट लग जाते हैं। जब मन इस प्रकार की विषयवस्तु की गहराई में डूब रहा हो, तब यदि अचानक अध्ययन रोक दिया जाये, तो एकाग्रता भंग हो जायेगी एवं पढ़ाई का नुकसान होगा। अतः कुछ मिनटों बाद जब मन एकाग्र होता है, तो उस अवसर का उपयोग विषय का गहनतर अवगाहन करते हुये गंभीर अध्ययन के लिए करना चाहिये। इस तरह मन को कम-से-कम एक घन्टे तक अबाध रूप से अध्ययन में लगाये रहना चाहिये।
5. इस अध्ययन के दौरान सम्भव है कि परिवार का कोई सदस्य विनयपूर्वक किसी अन्य कार्य के लिए बुलाने आ जाय, इसलिए घर के लोगों से पहले ही बता देना होगा, “कृपया, मुझे एक घण्टे तक न बुलाएं।” – क्योंकि मन में यदि किसी के पुकारने की सम्भावना भी बनी रही, तो वह पूरी तौर से अध्ययन में एकाग्र नहीं हो सकेगा।
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