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एक नदी दो पाट

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :323
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9560
आईएसबीएन :9781613015568

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'रमन, यह नया संसार है। नव आशाएँ, नव आकांक्षाएँ, इन साधारण बातों से क्या भय।


'चाय के खेतों का निरीक्षण करना होगा।'

'कैसा निरीक्षण?'

'मज़दूरों का।'

'मिलेगा क्या?'

'एक हजार रुपया महीना।'

'ओह!' एक लम्बी साँस खींचते हुए वह बोला।

'और एक घोड़ा भी, जिस पर साहब बहादुर की सवारी खेतों से निकलेगी।'

'तुम्हारा क्या विचार है?'

'बुरा नहीं-समय भी कट जाएगा और रुपया भी मिलेगा।'

इस बात पर एक साथ दोनों की हँसी छूट गई। विनोद के मुख पर लालिमा-सी देखकर माधवी के मन को सान्त्वना मिली।

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