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एक नदी दो पाट

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :323
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9560
आईएसबीएन :9781613015568

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'रमन, यह नया संसार है। नव आशाएँ, नव आकांक्षाएँ, इन साधारण बातों से क्या भय।


28


रमन सुन्दर स्वभाव का एक सुशील लड़का था। वह अभी-अभी इंजीनियर की डिग्री लेकर सरकारी नौकरी में लिया गया था। विनोद ने इस युवक में ऊंचाई की ओर उठने का उत्साह देखा और उसके प्रति उसकी सहानुभूति बढ़ती गई। न जाने क्यों वह अनायास ही इस युवक की ओर खिंचता चला जा रहा था।

दूसरे दिन विनोद छानबीन में उसकी सहायता करने लगा। वाटसन को जब पता चला कि विनोद एक अच्छा इंजीनियर रह चुका है, तो उसके परामर्श पर भी ध्यान दिया जाने लगा।

एक साँझ जब वाटसन ने सब घाटियों के नक्शे सामने रखकर उसे यह बताया कि वह बाँध कहाँ पर बाँधने का विचार रखता है, तो विनोद उससे सहमत न हुआ और बोला-'मेरे विचार से यह स्थान बाँध के लिए उचित नहीं।'

'क्यों?'

'यदि हम इस घाटी के स्थान पर उत्तरी घाटी में बाँध लगाएँ, तो?'

'वहाँ पानी का बहाव बहुत तेज़ है।'

'तो क्या! यह बाँध कम खर्च का रहेगा। स्थान तंग है और बहाव भी तेज़ है। यदि तेज़ बहाव के ऊपर हम बाँध लगाएँ तो हमें कृत्रिम ढलान बनाने की कोई आवश्यकता नहीं क्योंकि वहाँ से नदी प्राकृतिक ढंग से नीचे गिरती है और-'

'और क्या, मिस्टर मुखर्जी?' रमन ने उत्साहपूर्वक पूछा।

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