ई-पुस्तकें >> एक नदी दो पाट एक नदी दो पाटगुलशन नन्दा
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'रमन, यह नया संसार है। नव आशाएँ, नव आकांक्षाएँ, इन साधारण बातों से क्या भय।
'आओ केथू!'
केथू को आते देखकर बरामदे के एक कोने में बैठी माधवी भी उसकी ओर बढ़ी। केथू जब भी आता, कम्पनी वालों की या बस्ती की कोई सूचना लाता। उसकी शीघ्रता से आज यों प्रतीत होता था मानो वह कोई असाधारण सूचना लाया हो।
'बाबूजी, सुना आपने?'
'क्या?'
'आपका सपना सच्चा निकला।'
'कैसा सपना?'
'ब्रह्मपुत्रु को अधिकार में करने का।'
'वह कैसे केथू?' उत्साहपूर्वक कुर्सी के आगे की ओर बढ़ते हुए विनोद ने पूछा।
'सरकारी अफसर इस क्षेत्र का निरीक्षण करने आए हैं।'
'कैसा निरीक्षण?'
'इस नदी पर बाँध बाँधने की योजना है। सुना है, इस काम के लिए विदेश से कुछ बड़े इंजीनियर बुलाए गए हैं।'
'कहाँ हैं वे सब?'
'उत्तरी घाटी के उस पार।'
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