लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> एक नदी दो पाट

एक नदी दो पाट

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :323
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9560
आईएसबीएन :9781613015568

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

429 पाठक हैं

'रमन, यह नया संसार है। नव आशाएँ, नव आकांक्षाएँ, इन साधारण बातों से क्या भय।


यह घटना उस समय हुई जब वह चुनाव में खड़ा होने वाला था। अब ये लोग उसे कभी खड़ा न होने देंगे और उसे नीचा गिराने का अवसर ढूँढ़ेंगे। हो सकता है वे उसके प्राण भी ले लें। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।

वह क्रोध से दांत पीसने लगा-नहीं, वह यह कभी न होने देगा! वह इन लोगों को ऐसा कुचलकर रख देगा कि वे सिर तक न उठा सकें...परन्तु इन चुनाव के दिनों में उसे बुद्धि और कूटनीति से काम लेना होगा...उन लोगों पर विश्वास जमाने के लिए उन पर दया की वर्षा करनी पड़ेगी।

इस विचार को कार्यान्वित करने के लिए उसने सवेरे ही बस्ती में खाने-पीने की वस्तुएँ, कपड़े और दूसरी चीज़ें बाँटने के लिए भिजवा दीं। चुनाव के दिन उन सबको अच्छे कपड़े पहनकर उस सभा में सम्मिलित होना था जिसमें विलियम को उनकी भलाई के लिए संलग्न काम करने की शपथ उठाकर उनसे वोट लेने थे।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय