ई-पुस्तकें >> भज गोविन्दम् भज गोविन्दम्आदि शंकराचार्य
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ब्रह्म साधना के साधकों के लिए प्रवेशिका
नारीस्तनभरनाभीदेशम्,
दृष्ट्वा मा गा मोहावेशम्।
एतन्मांसावसादिविकारम्,
मनसि विचिन्तय वारं वारम् ॥3॥
(भज गोविन्दं भज गोविन्दं,...)
स्त्री शरीर पर मोहित होकर आसक्त मत हो। अपने मन में निरंतर स्मरण करो कि ये मांस-वसा आदि के विकार के अतिरिक्त कुछ और नहीं हैं ॥3॥
(गोविन्द को भजो, गोविन्द को भजो,.....)
naariistanabhara naabhiidesham
drishhtvaa maagaamohaavesham
etanmaamsaavasaadi vikaaram
manasi vichintaya vaaram vaaram ॥3॥
Do not get attracted on seeing the parts of woman's anatomy under the influence of delusion, as these are made up of skin, flesh and similar substances. Deliberate on this again and again in your mind॥3॥
(Chant Govinda, Worship Govinda…..)
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