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भज गोविन्दम्

आदि शंकराचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :37
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9557
आईएसबीएन :9781613012574

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ब्रह्म साधना के साधकों के लिए प्रवेशिका


सुखतः क्रियते रामाभोगः,
पश्चाद्धन्तं शरीरे रोगः।
यद्यपि लोके मरणं शरणं,
तदपि न मुंचति पापाचरणं ॥28॥

(भज गोविन्दं भज गोविन्दं,...)
 
सुख के लिए लोग शारीरिक भोग में कूद पड़ते हैं जिसके बाद इस शरीर में रोग हो जाते हैं। यद्यपि इस पृथ्वी पर सबका मरण सुनिश्चित है फिर भी लोग पापमय आचरण को नहीं छोड़ते हैं ॥28॥
(गोविन्द को भजो, गोविन्द को भजो,.....)

sukhatah kriyate raamaabhogah
pashchaaddhanta shariire rogah
yadyapi loke maranam sharanam
tadapi na mujnchati paapaacharanam ॥28॥

People use this body for pleasure which gets diseased in the end. Though in this world everything ends in death, man does not give up the sinful conduct. ॥28॥
(Chant Govinda, Worship Govinda…..)

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