ई-पुस्तकें >> भज गोविन्दम् भज गोविन्दम्आदि शंकराचार्य
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ब्रह्म साधना के साधकों के लिए प्रवेशिका
सुरमंदिरतरुमूलनिवासः,
शय्या भूतल मजिनं वासः।
सर्वपरिग्रहभोगत्यागः,
कस्य सुखं न करोति विरागः ॥18॥
(भज गोविन्दं भज गोविन्दं,...)
जिसका निवास किसी मन्दिर के वृक्ष के नीचे है, डो केवल जमान पर (बिना बिछावन) सोता है, जो केवल हरिन का चमड़ा पहनता है, इस तरह की प्राप्ति की इच्छा का जिसने त्याग कर दिया है और भोग करने की प्यास जिसे नहीं सताती ऐसा वैराग्य किसके हृदय में सुख का संचार नहीं करता ॥18॥
(गोविन्द को भजो, गोविन्द को भजो,.....)
sura mandira taru muula nivaasah
shayyaa bhuutala majinam vaasah
sarva parigraha bhoga tyaagah
kasya sukham na karoti viraagah ॥18॥
Reside in a temple or below a tree, sleep on mother earth as your bed, stay alone, leave all the belongings and comforts, such renunciation can give all the pleasures to anybody. ॥18॥
(Chant Govinda, Worship Govinda…..)
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