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भज गोविन्दम्

आदि शंकराचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :37
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9557
आईएसबीएन :9781613012574

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ब्रह्म साधना के साधकों के लिए प्रवेशिका


कुरुते गंगासागरगमनं,
व्रतपरिपालनमथवा दानम्।
ज्ञानविहीनः सर्वमतेन,
भजति न मुक्तिं जन्मशतेन ॥17॥

 (भज गोविन्दं भज गोविन्दं,...)

कोई तीर्थाटन करता हुआ गंगासागर (जहाँ गंगा समुद्र में मिलती है) जा सकता है या अपने व्रत का पालन अच्छी तरह कर सकता है, या दान में अपना सर्वस्व दे सकता है, परन्तु सभी सम्प्रदायों के मतानुसार ज्ञान-विहीन प्राणी मोक्ष-प्राप्ति का अधिकारी नहीं बनता ॥17॥
(गोविन्द को भजो, गोविन्द को भजो,.....)

kurute gangaasaagaragamanam
vrataparipaalanamathavaa daanam
gyaanavihinah sarvamatena
muktim na bhajati janmashatena ॥17॥

According to all religions, without knowledge one cannot get liberated in hundred births though he might visit Gangasagar or observe fasts or do charity. ॥17॥
(Chant Govinda, Worship Govinda…..)

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