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गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :590
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9552
आईएसबीएन :9781613010389

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हिन्दुओं में यह किंवदंति है कि यदि महाभारत की कथा की जायें तो कथा समाप्त होने से पूर्व ही सुनने वालों में लाठी चल जाती है।


‘‘युवती ने एक फूल तोड़ा और सूँघकर मेरी ओर बढ़ाती हुई कहने लगी, देखिए इसकी सुगन्ध कैसी है?’’

‘‘मैंने सूँधा। बहुत ही तीव्र गंध थी उसकी। एक क्षण तो मैं ऐसा अनुभव करता रहा, मानो मैं अचेत होने जा रहा हूँ। परन्तु दूसरे ही क्षण मैं न केवल चैतन्यता का अनुभव करने लगा, प्रत्युत अपने में अकथनीय स्फूर्ति भी अनुभव करने लगा। शरीर हल्का-सा प्रतीत होने लगा और प्रसन्नता में मैंने मुस्कराकर उस देवांगना की ओर देखकर पूछा, ‘क्या नाम है इस पुष्प का?’’

‘‘मधुमालती। इसका गुण यह है कि इसकी सुगन्ध से मनुष्य में काम-प्रवृत्ति बढ़ जाती है।’’

‘‘सत्य? मैंने मुस्कराकर कहा, ‘मुझमें तो इस प्रकार की इच्छा तक उत्पन्न नहीं हुई।’’

‘‘परन्तु आपकी आँखों में मस्ती तो बढ़ गयी है।’’

‘‘वह तो इसकी मादकता का प्रभाव है। मादकता और कामुकता में तो अन्तर होता है न?’

‘‘इस मादकता के कारण आपको क्या करने की इच्छा हो रही है?’

‘‘मादकता से अपना काम अधिक सतर्कता से करने की इच्छा होती है।’’

‘‘आप क्या कार्य करते हैं?’’

‘‘मैं चित्र बनाता हूँ।’’

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