ई-पुस्तकें >> अमृत द्वार अमृत द्वारओशो
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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ
प्रश्न--चंद्रकात भाई का जवाब देंगे क्या?
उत्तर--हां, तो अभी एक ही मेरे मन में खयाल है कि सारे मुल्क के कोने-कोने से एक वैचारिक क्रांति, फिर एक युवक संगठन खड़ा करने का है, बिलकुल एक सैन्य ढंग पर युवक संगठन पूरे मुल्क में।
प्रश्न--क्या आपको पोलिटिक्स में भाग लेने का है?
उत्तर-- न, पोलिटिक्स में भाग लेने का नहीं हूं, लेकिन मुल्क की जिंदगी में भाग लेने का है। उसमें पोलिटिक्स भी है। पोलिटिक्स में भाग लेने का नहीं है। लेकिन मुल्क की पूरी जिंदगी में भाग लेने का मन है। उसमें धर्म भी है, उसमें पोलिटिक्स भी है, उसमें एजुकेशन भी है, उसमें एकोनामिक्स भी है। पालिटिक्स में मेरी रुचि नहीं है, लेकिन मुल्क की पूरी जिंदगी मेरी रुचि है और उसकी जिंदगी में पालिटिक्स भी है। तो मुल्क की जिंदगी को जहां- जहां पालिटिक्स छूती है, वहां कोई उससे भागकर और डरने वाला मेरा मन नहीं है कि उससे कोई भागता है। जो उसमें भी जरूरी लगे, उसके फर्क के लिए हमें फिकर करनी है। उसकी जरूर फिकर करनी है। तो एक यूथ फोर्स खडे़ करने का है पूरे मुल्क में--युवक का, युवतियों का। वह एक सामाजिक क्रांति के लिए, एक भूमिका बनाने के लिए कि दस साल में अगर कोई सामाजिक क्रांति खड़ी करनी हो तो हमारे पास एक शक्ति भी होनी चाहिए, जो पीछे बल दे सके। जो कह सके कि हां इस क्रांति को हम ताकत देते हैं।
तो एक तो यूथ फोर्स के लिए जोर से विचार है। दूसरा, एक गांव-गांव, बडे़-बडे़ नगरों में फिलहाल छोटे-छोटे आश्रम खडे़ करने का मेरा खयाल है। जहां जिसको मैं ध्यान कह रहा हूं, उस ध्यान के सतत प्रयोग चल सकें। कुछ सन्यासियों का एक नया आर्डर खड़ा करने का खयाल है, ऐसे सन्यासी का जो किसी धर्म का नहीं होगा। जिसका किसी किताब के प्रति कोई आग्रह नहीं होगा और जो न हिंदू होगा, न मुसलमान होगा, न जैन होगा। वह सिर्फ सन्यासी होगा। और धर्म क्या है, उसकी खबर वह ले जाएगा। और मेरी दृष्टि में, धर्म का अर्थ जो सारे जीवन को छू ले। उसमें शिक्षा भी है, राजनीति भी है। उसमें दांपत्य भी है, उसमें सेक्स भी है। धर्म का मेरा मतलब यह है कि वह फिलासफी पूरे लाइफ की, पूरे जीवन को छू ले। तो एक सन्यासी का आर्डर जल्दी खड़ा करने का है कि पांच सौ सन्यासी पूरे मुल्क में गांव-गांव भेजे जा सकें जो जाकर वहां खबर ले जाएं और एक हवा पैदा करें और दस साल में एक मूवमेंट खड़ा किया जाए कि हम समाज की जिंदगी में जो भी फर्क लाना चाहते हों उनके लिए ताकत दी जा सके कि वह फर्क पैदा हो सके।
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