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अंतस का संगीत
अंतस का संगीत
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ :
Ebook
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पुस्तक क्रमांक : 9545
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आईएसबीएन :9781613015858 |
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8 पाठकों को प्रिय
397 पाठक हैं
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
अपने-अपनों में
सब अपने-अपनों में खोए
औरों से क्या लेना-देना
सबके घर आते-जाते हैं
उनके सूरज - चाँद - सितारे
कर जाते हैं घर को जगमग
पास नहीं फटकें अंधियारे
डूबे या उतराए कोई
सबको अपनी नावें खेना
दरवाजे - दरवाजे घूमे
हम शुभचिन्तक की तलाश में
लेकिन बंधा दिखा हर कोई
अपने - अपने मोहपाश में
जो ख़ुद हाथ पसारे घूमे
उससे क्या माँगे, क्या लेना
ऐसा हाल नहीं था पहले
अपना ग़म सबका ग़म होता
हर्ष बाँटते थे आपस में
ज्यादा होता या कम होता
कृष्ण किसे - किसे समझायें
सबकी अपनी कौरव सेना
* *
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पुस्तक का नाम
अंतस का संगीत
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