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अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545
आईएसबीएन :9781613015858

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ


समझदार हर आदमी, करता यही विचार।
वैतरणी संसार की, कैसे होगी पार।।161

मेहनतकश तो धूप में, जला रहे हैं खून।
ठेके जिनके पास हैं, रहते देहरादून।।162

यूँ, तो मंदिर के सभी, खुले हुये हैं द्वार।
लेकिन सब को है कहाँ, दर्शन का अधिकार।।163

पतझर हो मधुमास हो, लगते एक समान।
सारे 'मौसम हो गये कितने बेईमान।।164

निर्धन का तो रोग भी, वना कोढ़ में खाज।
बिन पैसे अब डाक्टर, करते कहीं इलाज।।165

बाल्मीकि के जाप से, निकला ये परिणाम।
श्रद्धा होनी चाहिये, मरा कहो या राम।।166

मन के काग़ज पर अगर, लिख लो सीता-राम।
घर बैठे मिल जायेंगे, तुमको चारों धाम।।167

चाहे वो आशीष दें, चाहे मारें बाण।
रघुनन्दन के हाथ से, होता है कल्याण।।168

जिस गुलशन के फूल हैं, सबके नबी-रसूल।
मेरे मत में राम हैं, उसी चमन के फूल।।169

जिसके ऊपर लिख दिया, सिर्फ राम का नाम।
वे पत्थर करने लगे, नौका वाला काम।।170

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