कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
चाहे दुनिया घूमिये, करिये लाख प्रयत्न।
मन सागर मंथन बिना, नहीं मिलेंगे रत्न।।151
अँधियारा आता नहीं, उसके कभी समीप।
अपने मन में ज्ञान का, जो रखता है दीप।।152
क्या लाता है आदमी, क्या ले जाता साथ।
आता मुट्ठी बाँधकर, जाता खाली हाथ।।153
चाहे वो धनवान हो, चाहे हो विद्वान।
बिना किसी बलिदान के, बनता नहीं महान।।154
जाने किस दिन के लिये, रहा सम्पदा जोड़।
जाना है जब एक दिन, हाड़-मांस सब छोड़।।155
गिरा हुआ आकाश से, संभव है उठ जाय।
नजरों से गिर जाये जो, उसको कौन उठाय।।156
नन्हा पंछी इसलिये, होता नहीं हताश।
उसको तो भुजपाश में, भरना है आकाश।।157
तट से नौका खोल दी, देखा नहीं बहाव।
तूफानों से खेलना, अपना रहा स्वभाव।।158
माना तुम तैराक हो, नहीं सकोगे तैर।
जल में यदि तुमने किया, मगरमच्छ से बैर।।159
नौका है मझधार में, कौन लगाये पार।
छूट गयी जब हाथ से, साहस की पतवार।।160
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