कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
संवेदनाएँ
बहुआयामी व विलक्षण प्रतिभा के धनी एवं 'अंतस का संगीत' संग्रह के सृजनकार भाई अंसार क़म्बरी मेरे अंतरंग हैं इस नाते मैं उन पर जो कुछ लिखूँगा, वह मुझे आत्म-प्रशंसा जैसा ही प्रतीत होगा। चूँकि वेदना का स्पन्दन ही काव्य है अस्तु उन कारकों पर सम्यक् चिन्तन करना ही होगा जिनसे अंसार भाई, अंसार क़म्बरी बनकर गीत, ग़ज़ल व दोहे के रूप में संवेदनशील श्रोताओं एवं पाठकों के हृदय में विराजमान हैं। ये वही व्यक्तिगत वेदनाएँ हैं जो अंसार भाई को उनके स्मृतिशेष बेटे की असमय मृत्यु पर मिली थीं। सृजन की भाव-भूमि वही है जो कालान्तर में सर्व समावेशी सामाजिक संवेदनाओं का रूप ले लेती है। अंसार भाई ने मानवीय मूल्यों का अवमूल्यन, उत्पीड़न, शोषण, अन्याय, अत्याचार, निरन्तर राजनैतिक पतन एवं सामाजिक संकीर्णताओं जैसे अन्योन्य विषयों पर अपनी ऊर्जस्वित लेखनी चलाई है। भारतीयता उनमें कूट-कूट कर भरी है, जिसका प्रमाण उनकी रचनाओं की पंक्ति-पंक्ति से मिलता है। निश्चय ही संग्रह में संकलित समस्त रचनायें कालजयी हैं जो अनन्तकाल तक मानव के मानस-पटल पर छाई रहेंगी।
अंत में यह असह्य वेदनाविदग्ध घटना व्यक्त किये बिना नहीं रहा जा रहा है कि 'दिनांक 26 सितम्बर, 2009 को उनकी 18 वर्षीय प्रिय बेटी जैनब फात्मा 'ओमा' के आकस्मिक निधन ने उनके संवेदनशील कवि हृदय पर कुठाराघात कर दिया। शायद ये उक्ति चरितार्थ हो गई-
'वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान।'
मेरी संवेदनायें उनके साथ हैं।
'दुर्गावती सदन'
300ए-2, हनुमन्तनगर,
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