कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
निवेदन
अपने गीतों, ग़ज़लों और दोहों के माध्यम से मैं श्रोताओं और पाठकों के समक्ष पिछले लगभग तीस वर्षों से उपस्थित होता रहा हूँ किन्तु संकलन के रूप में 'अंतस का संगीत' आपके हाथों में सौंपते हुए मुझे विशेष प्रसन्नता है। मैंने दोहों और गीतों में हिंदी छंदों का निर्वहन किया है किन्तु कहीं-कहीं पर उर्दू तरकीब का भी प्रयोग कर लिया है ताकि भाव-सौंदर्य बना रहे। यूँ तो मेरे शुभचिन्तकों एवं नजदीकी लोगों की कमी नहीं है, फिर भी इस संग्रह के प्रकाशन में जिन दो साहित्य मनीषियों ने अपने उद्गारों से पुस्तक को विशेष गरिमा प्रदान की है उनमें आदरणीय श्री सुमन जी दुबे व डॉ. यतीन्द्र तिवारी जी हैं। मैं इन दोनों महानुभावों का हृदय से आभारी हूँ साथ ही मैं अपने अभिन्न मित्र भाई अशोक मिश्र जी का भी शुक्रगुजार हूँ कि उन्होंने संग्रह को अपने उद्गारों से सुशोभित किया है। श्रद्धेय श्री कृष्णानन्द चौबे जी से मुझे हमेशा पिता तुल्य प्यार-दुलार मिला है। संग्रह के शीघ्र प्रकाशन के लिए वे मुझे सदेव प्रेरित करते रहे हैं। प्रस्तुत संग्रह के प्रकाशन में अपना हर सम्भव सहयोग देने के लिये अपने परम् मित्र लखनऊ के साहित्य मर्मज्ञ श्री मुनेन्द्र शुक्ल का विशेष आभारी हूँ जिन्होंने समय-समय पर प्रकाशन के लिए प्रेरित किया तथा भाषा विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ से अनुदान भी दिलवाया, साथ ही अपने काव्य सहचर श्री मृदुल तिवारी का भी आभार मानता हूँ जिन्होंने संग्रह प्रकाशन के लिए मुझे उकसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी एवं प्रसिद्ध गीतकार देवल आशीष, श्री गुनवीर सिंह राना एवं श्री विवेक मिश्र का शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने पुस्तक के प्रकाशन में मेरी भरपूर सहायता एवं सहयोग किया।
मैं अपनी जीवन संगिनी माहबानो का एहसानमन्द हूँ जिनके मुक्त समर्थन ने मेरे इस प्रयास को सफल किया। संग्रह पर प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में,
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