कहानी संग्रह >> प्रेम प्रसून ( कहानी-संग्रह ) प्रेम प्रसून ( कहानी-संग्रह )प्रेमचन्द
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इन कहानियों में आदर्श को यथार्थ से मिलाने की चेष्टा की गई है
इंस्पेक्टर–ये सब बातें निज के मुआमलों के लिए हैं, पोलिटिकल मुआमलों में झूठ-सच, शर्म और हत्या, किसी का भी खयाल नहीं किया जाता।
चंदूमल–मुँह में कालिख लग जायगी।
इंस्पेक्टर–सरकार की निगाह में इज्जत चौगुनी हो जायगी।
चंदूमल–(सोचकर) जी नहीं, गवाही न दे सकूँगा। कोई और गवाह बना लीजिए।
इंस्पेक्टर–याद रखिए, यह इज्जत खाक में मिल जायगी।
चंदूमल–मिल जाय, मजबूरी है।
इंस्पेक्टर–अमन सभा के कोषाध्यक्ष का पद छिन जायगा।
चंदूमल–उससे कौन रोटियाँ चलती हैं!
इस्पेक्टर–बंदूक का लाइसेंस छिन जायगा।
चंदूमल–छिन जाय बला से।
इंस्पेक्टर–इनकम-टैक्स की जाँच फिर से होगी!
चंदूमल–जरूर कराइए। यह तो मेरे मन की बात हुई।
इंस्पेक्टर–बैठने को कुरसी न मिलेगी।
चंदूमल-कुरसी लेकर चाटूँ? दिवाला तो निकला जा रहा है।
इंस्पेक्टर–अच्छी बात है। तशरीफ ले जाइए। कभी तो आप पंजे में आवेंगे।
दूसरे दिन इसी समय कांग्रेस के दफ़्तर में कल के लिए कार्यक्रम निश्चित किया जा रहा है। प्रधान ने कहा–सेठ चंदूमल की दूकान पर धरना देने के लिए दो स्वयंसेवक भेजिए!
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