लोगों की राय

कहानी संग्रह >> प्रेम प्रसून ( कहानी-संग्रह )

प्रेम प्रसून ( कहानी-संग्रह )

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :286
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8588
आईएसबीएन :978-1-61301-115

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

93 पाठक हैं

इन कहानियों में आदर्श को यथार्थ से मिलाने की चेष्टा की गई है


मंत्री–मेरे विचार में वहाँ अब धरना देने की जरूरत नहीं।

प्रधान–क्यों? उन्होंने अभी प्रतिज्ञा-पत्र पर हस्ताक्षर तो नहीं किए?

मंत्री–हस्ताक्षर नहीं किए, पर हमारे मित्र अवश्य हो गए। पुलिस की तरफ से गवाही न देना, यही सिद्ध करता है। यह नैतिक साहस विचारों में परिवर्तन हुए बिना नहीं आ सकता।

प्रधान–हाँ, कुछ परिवर्तन अवश्य हुआ है।

मंत्री–कुछ नहीं, महाशय! पूरी क्रांति कहिए। आप जानते हैं, ऐसे मुआमलों में अधिकारियों की अवहेलना करने का क्या अर्थ है? यह राज-विद्रोह की घोषणा के समान है। संन्यास से इसका महत्त्व कम नहीं। आज जिले के सारे हाकिम उनके खून के प्यासे हो रहे हैं, और आश्चर्य नहीं कि गवर्नर महोदय को भी इसकी सूचना दी गई हो।

प्रधान–और कुछ नहीं, तो उन्हें नियम का पालन करने ही के लिए प्रतिज्ञा पत्र पर दस्तखत कर देना चाहिए था। किसी तरह उन्हें यहां बुलाइए। अपनी बात तो रह जाय।

मंत्री–वह बड़ा आत्माभिमानी है; कभी न आएगा। बल्कि हम लोगों की ओर से इतना अविश्वास देखकर संभव है, फिर उस दल में मिलने की चेष्टा करने लगे।

प्रधान–अच्छी बात है, आपको उन पर इतना विश्वास हो गया है, तो उनकी दूकान को छोड़ दीजिए। तब भी मैं यही कहूँगा कि आपको स्वयं मिलने के बहाने से उन पर निगाह रखनी होगी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book