लोगों की राय

उपन्यास >> प्रगतिशील

प्रगतिशील

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8573
आईएसबीएन :9781613011096

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

88 पाठक हैं

इस लघु उपन्यास में आचार-संहिता पर प्रगतिशीलता के आघात की ही झलक है।


‘‘क्या देख रहे हो मदन?’’ उसकी दादी ने पूछा।

‘‘इसके तो बहुत ही छोटे नाखून हैं।’’

‘‘हां।’’

‘‘और अम्मा! इसके दांत तो हैं ही नहीं।’’

‘‘हां, नहीं हैं।’’

‘‘तो यह रोटी किस तरह खायेगी?’’

‘‘यह रोटी नहीं खायेगी।’’

‘‘तो क्या खायेगी?’’

‘‘वह देखो, वह रखा है इसके खाने के लिए।’ दादी ने सामने आलने में रखी दूध की बोतल की ओर संकेत कर दिया।

‘‘इसका नाम क्या है अम्मा!’’

‘‘जो तुम रख दो।’’

‘‘कैसे रख दूं!’’

‘‘कोई नाम बोल दो।’’

‘‘कौशल्या।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai