लोगों की राय
उपन्यास >>
पाणिग्रहण
पाणिग्रहण
प्रकाशक :
सरल प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ :
Ebook
|
पुस्तक क्रमांक : 8566
|
आईएसबीएन :9781613011065 |
|
9 पाठकों को प्रिय
410 पाठक हैं
|
संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव
वास्तव में इन्द्रनारायण की पत्नी की अभी ग्यारह वर्ष की भी नहीं हुई थी। अभी शारदा एक्ट पास नहीं हुआ था। भारत के देहातों में अभी भी अल्पायु में विवाह प्रचलित थे।
जब इन्द्रनारायण की पत्नी पहली बार ससुराल में आयी तो वह बेचारी लाल कपड़ों में लिपटी हुई, सिकुड़कर अपनी सास के पास बैठी रही। इन्द्रनारायण ने तो उसका मुख भी नहीं देखा था। उसके हाथों को देखकर वह अनुमान लगा रहा था कि वह गौरवर्णीय है। उसे उन गोरे हाथों पर मेहँदी का लाल रंग बहुत ही भला प्रतीत हुआ था। छोटे-छोटे उन हाथों को देखकर इन्द्रनारायण यह भी अनुमान लगा रहा था कि वह अभी बच्ची ही होगी।
पत्नी की आयु के विषय में अनुमान का समर्थन तो उसी रात उसकी माँ ने कर दिया। घर में सम्बन्धी आये हुए थे और घर की लड़कियाँ, विशेष रूप से इन्द्र की बहन राधा अपनी भाभी के साथ सोने का आग्रह कर रही थी। यह आग्रह स्वीकार कर लिया गया था।
इन्द्र की पत्नी शारदा एक बड़े कमरे में, जिसमें फर्शी बिस्तर लगे थे और लड़कियाँ तथा घर की स्त्रियाँ सो रही थीं, सोने के लिए ले जाई गयी। वह दो लड़कियों—राधा और इन्द्रनारायण के काका की लड़की सुमन—के बीच में सुला दी गयी।
बाहर एक कमरे में रामाधार और उसकी पत्नी सौभाग्यवती आगे के कार्यक्रम पर विचार कर रहे थे। उसी कमरे की भूमि पर इन्द्रनारायण सोने के लिए लेटा हुआ था। उसको सोया हुआ समझ माता-पिता निःसंकोच बातें कर रहे थे। सौभाग्यवती ने कहा, ‘‘कल शारदा का भाई उसको ले जाने के लिये आयेगा। फिर वह गौना होने पर ही आयेगी।’’
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai