लोगों की राय

उपन्यास >> पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 8566
आईएसबीएन :9781613011065

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

410 पाठक हैं

संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव


‘‘तब तो बहुत अच्छा है। जब गाती हों तो उनके चरणों में बैठकर सुना करिये। सच कहती हूँ, बहुत रस आयेगा।’’

‘‘नहीं, यह बात नहीं। मैं चाहता हूँ कि घर पर आपको दावत दूँ और यह कहूँ कि आपका सितार सुनने के लिये यह दावत है, तो स्वीकार करेंगी क्या आप?’’

‘‘अभी इसके लिये अवकाश कहाँ है? यह अवसर तो ‘फाइनल’ परीक्षा के पश्चात् ही आ सकता है।’’

‘‘अर्थात् साढ़े तीन वर्ष के पश्चात्?’’

‘‘हाँ।’’

‘‘तो ऐसा करिये, एक दिन मुझको ही अपने घर पर निमंत्रण दे दीजिये।’’

‘‘आप किस विषय में कुशलता रखते हैं, जिसको आप दिखायेंगे?’’

‘‘बातें करने में।’’

‘‘वह तो दो वर्ष तक सुनती ही रही हूँ।’’

‘‘अब पहले से भी भिन्न बातें होंगी।’’

‘‘क्या भिन्नता आ गयी है उनमें?’’

‘‘पहले मैं आपको भली-भाँति देख नहीं सका था। अब मेरा वह दृष्टि दोष नहीं रहा। मुझको आप बहुत ही प्यारी लगने लगी हैं।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book