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उपन्यास >> पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 8566
आईएसबीएन :9781613011065

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संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव

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मेडिकल कॉलेज में पहले दो वर्ष की पढ़ाई अति कठोर होती है। पढ़ने और स्मरण करने को बहुत-कुछ होता है और सबसे कठिन काम शव-छेदन का कार्य करना होता है।

रजनी और इन्द्रनारायण इसमें खूब लीन थे। रात देर तक पढ़ते रहना और कॉलेज में दस-दस घण्टे काम करना। रजनी को स्मरण करने की बहुत कठिनाई थी और एनाटोमी में अनन्त बातों का स्मरण करना पड़ता था।

इन्द्रनारायण ने इस स्मरण करने का ढंग बताया था–लिखना, बार-बार लिखना। दोनों साथ-साथ कार्य करते हुए सन्तोषजनक उन्नति कर रहे थे।

ऐना इरीन ने अपने पति के साथ आने का वचन दिया था, परन्तु वह नहीं आयी। कुछ काल तक तो रजनी के मस्तिष्क में ऐना घूमती रही, परन्तु एनाटोमी के पारिभाषित शब्दों ने उसके मस्तिष्क में ऐना के लिये स्थान नहीं छोड़ा।

इस सब काल में एक बार रामाधार और सौभाग्यवती उससे मिलने आये। इन्द्रनारायण ने उनको लिख दिया था कि वह अपने एक सहपाठी के घर रहता है। भोजन भी वहीं करता है। वे उससे किसी प्रकार का खर्चा नहीं लेते। उसके माता-पिता भी उससे बहुत प्रेम करते हैं।

जब रामाधार और सौभाग्यवती वहाँ पहुँचे, इन्द्रनारायण और रजनी कॉलेज गये हुए थे। वकील साहब भी कचहरी में थे। घर पर माता और रजनी की भाभी ही थी।

रजनी की भाभी ने रामाधार और सौभाग्यवती को देखा तो पहले उसने समझा कि वकील साहब कोई मुवक्किल हैं।

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