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उपन्यास >> पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 8566
आईएसबीएन :9781613011065

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संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव


‘‘तो लखनऊ में रहने के लिए आलीशान कोठी, फर्स्ट क्लास फर्नीचर और दो खूबसूरत नौकरानियाँ खिदमत के लिए। साथ ही काफी रुपया खर्च करने के लिये।’’

‘‘कोठी का नक्शा कौन बनायेगा?’’

‘‘तुम्हारे वालिद शरीफ।’’

‘‘तो आज जाते ही उनको कह दीजिये कि आपकी कोठी के लिए नक्शा बनवायें और कोठी नौ महीने के अन्दर तैयार हो जानी चाहिए।’’

‘‘सत्य?’’

रहमत हँस पड़ी।

उसके गर्भ ठहरने के लक्षण तो कार्लटन होटल में पहुँचते ही प्रकट हो गये। उसको खाना हजम होना बन्द हो गया। कै होने लगी।

अगले दिन लेडी डॉक्टर बुलायी गई तो उसने कह दिया, ‘‘ऐसा मालूम होता है कि बेगम के बच्चा ठहर गया है।’’

रहमत को खाना न हजम होने से कष्ट तो था, मगर बच्चा होने पर जो कुछ मिलने वाला था, उसकी खुशी थी।

अगले ही दिन अनवर ने नवाब साहब को चिट्ठी लिखी और बताया कि खुदा करीम का लाख-लाख मेहर है कि आपके घर पोता आने के आसार दिखाई देने लगे हैं।

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