उपन्यास >> कायाकल्प कायाकल्पप्रेमचन्द
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राजकुमार और रानी देवप्रिया का कायाकल्प....
राजा–लेकिन अब तो उसको अपने किए की सजा मिल गई। अगर बच भी गया, तो महीनों चारपाई से न उठेगा।
जिम–ऐसे आदमी के लिए इतनी ही सजा काफी नहीं। हम उस पर मुकद्दमा चलाएगा।
राजा–मैंने सुना है कि उसके कन्धे में गहरा जख्म है और आपसे यह अर्ज़ करता हूँ कि उसे शहर के बड़े अस्पताल में रखा जाये, जहाँ उसका अच्छा इलाज हो सके। आपकी इतनी कृपा हो जाये, तो उस ग़रीब की जान बच जाये और ज़िले में आपका नाम हो जाये। मैं इसका जिम्मा ले सकता हूँ कि अस्पताल में उसकी पूरी निगरानी रखी जायेगी।
जिम–हम एक बाग़ी के साथ कोई रिआयत नहीं कर सकता। आप जानता है, मुग़लों या मराठों का राज होता, तो ऐसे आदमी को क्या सज़ा मिलता? खाल खींच लिया जाता, उसके दोनों हाथ काट लिये जाते। हम अपने दुश्मन को कोई रिआयत नहीं कर सकता।
राजा–हुज़ूर, दुश्मनों के साथ रिआयत करना उनको सबसे बड़ी सजा देना है। आप जिस पर दया करें, वह कभी आपसे दुश्मनी नहीं कर सकता। वह अपने किए पर लज्जित होगा और सदैव के लिए आपका भक्त हो जायेगा।
जिम–राजा साहब, आप समझता नहीं। ऐसा सलूक उस आदमी के साथ किया जाता है, जिसमें कुछ आदमियत बाकी रह गयी हो। बाग़ी का दिल बालू का मैदान है। उसमें पानी की बूँद भी नहीं होती, और न उसे पानी से सींचा जा सकता है। आदमी में जितना धर्म और शराफत है, उसके मिट जाने पर वह बाग़ी हो जाता है। उसे भलमनसी से आप नहीं जीत सकता।
राजा साहब को आशा थी कि साहब मेरी बात आसानी से मान लेंगे। साहब के पास वह रोज़ ही कोई-न-कोई तोहफ़ा भेजते रहते थे। उनकी ज़िद पर चिढ़कर बोले–जब मैं आपको विश्वास दिला रहा हूँ कि उस पर अस्पताल में काफ़ी निगरानी रखी जायेगी, तो आपको मेरी अर्ज़ मानने में क्या आपत्ति है?
जिम ने मुस्कुराकर कहा–यह ज़रूरी नहीं कि मैं आपसे अपनी पॉलिसी बयान करूँ।
राजा–मैं उसकी ज़मानत करने को तैयार हूँ।
जिम–(हँसकर) आप उसकी ज़बान की ज़मानत तो नहीं कर सकते? हज़ारों आदमी उसे देखने को रोज़ आएगा। आप उन्हें रोक तो नहीं सकते? गँवार लोग यही समझेगा कि सरकार इस आदमी पर बड़ा जुल्म कर रही है। उसे देख-देखकर लोग भड़केगा। इसको आप कैसे रोक सकते हैं?
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