अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
निर्झर केशर के शर के हैं
निर्झर केशर के शर के हैं,
मरकर जीवन के वर के हैं।
उभर-उभरकर पंखों वाली,
कलि-कलि से भर दी है डाली,
विश्व प्रकृति ने प्याला प्याली
खोली किरणों के कर से ऐ!
अकल दृष्टि है, अपना वैभव
देख रहे हैं सकल कलासव,
ढलते-ढलते हुए नित्य नव,
छुटे न छुटे हुए पर के हैं।
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