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आराधना

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :100
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8338
आईएसबीएन :0

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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ



दे सकाल, काल, देश


दे सकाल, काल, देश
दिशाबधि अशेष, शेष।

सोये जो कमल सलिल
कर सुहास-वास, अखिल,
खिलकर खोले दुर्मिल
मेल-मोल के सुकेश।

विंदु-वदन बने इन्दु
लहरे सुख-मुखर सिन्धु
इन्द्र एक विभात देश।

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