अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
खेत जोतकर घर आये हैं
खेत जोतकर घर आये हैं।
बैलों के कन्धों पर माची,
माची पर उलटा हल रक्खा,
बद्धी हाथ, अधेड़ पिता जी,
माता जी, सिर गट्ठल पक्का;
पिता गये गाँवों के गोंडे,
माता घर, लड़के धाये हैं।
आम और जामुन के फल हैं,
कुछ गूलड़, कुछ गुल्लू कच्चे,
लड़के चुनते हुए विकल हैं,
पेड़-पेड़ पर वे हैं सच्चे,
पुए लगाकर बड़ी बहू ने,
मन्नी से पर पकवाये हैं।
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