अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
|
2 पाठकों को प्रिय 248 पाठक हैं |
जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
महकी साड़ी
महकी साड़ी
जैसी फुलवाड़ी।
रत्नों के फूल जड़े,
लता चढ़ी जड़ पकड़े,
लहरी पछियाई,
नहरों की खाड़ी।
कद्दू, कुहँड़े फैले
ख़रबूजे मटमैले,
ककड़ी की क्यारी से
लहकी बाड़ी।
¤ ¤
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book