अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
तिमिर हरण तरणितरण किरण वरण हे
तिमिर हरण तरणितरण किरण वरण हे—तुम।
जित दानव मानवगण चरण शरण हे—तुम।
कला-सकल करतल गत,
अविगत, अविनत, अविरत,
आनन आनत शत-शत
मरण-मरण हे—तुम।
जब तक नर-मन अविकल,
रहो सकल फल, सम्बल,
विचले के क्षमा गरल
जग-ठग-रण के—तुम।
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