अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
बाँसुरी जो बजी
बाँसुरी जो बजी
लाज कुल की तजी।
यमुना पुलिन अजन,
आँजे नयन, सजन
तन, बसे फूल, जन
मन देखकर लजी।
बैर के बेर वन
बो गये कृष्ण घन,
शेष के देश की
दशा दुख की भगी।
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