अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
|
2 पाठकों को प्रिय 248 पाठक हैं |
जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
छोटी तरणी
छोटी तरणी;
सोने की सन्ध्या,
किरणों की बरनी।
बजती है गौरी,
युवती के कर वीणा,
पूरब को बहती है
नाव, एक मीना
देता है ताल
तालियों की सरनी।
युवक एक गायक भी,
सुनने वाले;
बैठे हैं कई,
उभय रूप सँभाले,
बहती है नाव;
मधुर गति, मन हरनी।
¤ ¤
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book