अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
रँगे जग के फलक
रँगे जग के फलक
सित मुख, असित अलक।
नील-घन सिन्धु जल,
शुभ्र शशि गगन-तल,
रक्त पाटल-पटल,
हरित तृण की पलक।
पीत सायं-किरण,
पतित-पत, धान्य-धन,
वासन्तिका—वसन,
शकल गो-घृत-तलक।
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