अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
वन उपवन खिल आयीं कलियाँ
वन उपवन खिल आयीं कलियाँ,
रवि-छवि दर्शन की आवलियाँ।
मारुत ने श्वेत अधर चूमे,
मद से लदकर भौरे झूमे,
तल प्रियतम-युगल विमल घूमे,
भर-भर आयीं अलियाँ-गलियाँ।
सौरभ के फौवारे छूटे,
विहगों के दल के दल टूटे,
खुल-खुलकर कानन मन लूटे,
गाये गाने, भर दीं फलियाँ।
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