अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
|
2 पाठकों को प्रिय 248 पाठक हैं |
जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
हँसो मेरे नयन
हँसो मेरे नयन,
बसो मेरे अयन।
हरो मेरे हरण,
भरो मेरे भरण,
चलो मेरे चरण,
पलो मेरे शयन।
गहो मेरे द्विकर,
अहो, मेरे प्रवर,
बहो मेरे इतर,
चहो मेरे चयन।
¤ ¤
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book